मौत व जिंदगी का ऐसी जंगए सदियों से ना किसी ने देखा ना सुना
कोरोना का ही रोना हैए आखिर इसमे कसूर किसका हैएनन्द मोहन;एनण् केद्ध
अयोध्या। रोती विलखती जिंदगियां आखिर इनका कसूर क्या हैघ् कोरोना की बंदिशों में कैद लखो जिंदगी आखिर सड़को पर आ ही गई। एक तरफ कोरोना तो दूसरी तरफ सड़को पर परदेशी भूखे प्यासे गरीब श्रमिक। मौत व जिंदगी का ऐसा जग सदियों से ना किसी ने देखा ना सुना। प्रशासन भी साशन के इशारे पर पास ही जारी करता रहा गया। मगर एक बार भी लाचारए बीमारए वेबश निगाहों को देखए किसी ने भी न सोचा की इनमे भी घर वापसी की उम्मीद अभी जिंदा है।
लॉक डाउन 3ण्0 से अब 4ण्0 के नए नियम के साथ आप की जिंदगी की शुरआत होगीए मगर कितनो ने यह सोचा है कि अपने गांवए नगर से दूर रोजीए रोटी की जुगाड़ में भटक रहे श्रमिकए काम धंधे बन्द हो जाने के बाद कैसी जिंदगी जी रहे होंगेए या वोट के सियासत की चक्की में में पीस रहे श्रमिको की वापसी कैसे होगी। आज 45 दिनों में कोरोना से यूपी में जहा 95 की मौत हुई है तो वही 20 दिनों में 70 लोगो की मौत सड़क दुर्घटना में हुई है। मौत का ए अकड़ा चौकाने वाल तो है हीए मगर साथ ही साथ यह सोचने के लिए मजबूर भी करता है किए श्रमिक रेल चलने के बाद भी इन श्रमिको को इतनी जल्दी भी क्या है। तो जरा सोचिए लॉक डाउन के शुरुआती चंद दिनों में ही देश के वीआईपीए पास बनवाकर सड़को नजर आने लगे व रोज शाम चैन की नींद अपने घरों में सोने लगे। मगर एक बार भी किसी ने नही सोचा की उन गरीबो का क्याए जिनके पास एक जून की रोटी के अतिरिक्त कुछ है ही नहीं। मकान का किरायाए बिजली का बिलए रासन का खर्च वो भी दिल्ली मुंबई जैसे महानगरों में विन काम धंधे के देना कितना कठिन होगा। सरकार एडवायजरी जारी करती रही मगर राज्य का वोटर न होने के कारण श्रमिक भूखे सड़को पर सोते रहे। कुछ मिडीया के लोगे ने उन आँसू भरे जन्दगीयो को कमरे में कैद तो जरूर कियाए मगर सियासत की डोर ने मामला सत्ता पक्ष व विपक्ष में ही उलझा दिया। दूसरी तरफ परदेसी किस्मत के फकीर मगर हिम्मत के रईसों ने कोरोना को भूल घर वापसी मुहिम आखरी वक्त तक जारी रखा है।
आज इसी का नतीजा है की अयोध्या सहित यूपी विहार में लखो श्रमिक घर वापसी कर पाए हैं। लाखों घरो में छाए मुशीबत के बादल अब छटने लगे हैं। मगर सियासत अब भी जारी है। कोई कोरोना का रोना रो रहा हैए तो कोई वोट की राजनीति कर रहा है। मगर कोई खुल कर मजूदरो की मदद करने सड़को पर नही आ रहा। जबकि सभी जानते हैं कि कुपोषणए भुखमरीए गरीबीए गुलामीए बेबसीए निक्षरताए लाचारी से बड़ी कोई महामारी नही होती। साथ ही इन लाचार गरीबो के घर वापसी के बेगैर कोरोना को हराना नामुकिन है। बहुतो का मानना है की इनकी वापसी से कोरोना का सकंट बढ़ेगा। मगर ए लोग भूल बठे है कि कोरोना विश्व भर में अमीरों की मेहरबानी से सरकार द्वारा जारी पास के जरिए व हवाई यात्रा करने वालो से फैला है। गरीबो के घर वापसी को इसके लिए जिम्मेदार समझना महज एक भूल ही भर साबित होगी। और जो अमीरी व गरीबी के बीच खाई ही पैदा करने वाली होगी।
31 मई तक बढ़ा लॉक डाउन
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लॉकडाउन 4ण्0 का सरकार ने दिशानिर्देश जारी किया― लॉकडाउन 4ण्0 में रेलए मेट्रोए विमान सेवा बंद रहेंगे। स्कूलए कॉलेज बंद रहेंगे। सिर्फ स्पेशल ट्रेन ही चलेंगी। मॉलए सिनेमाघर भी बंद रहेंगे। वहीं धार्मिक समारोह का आयोजन नहीं किया जाएगा। कंटेनमेंट जोन में कोई राहत नहीं दी गई है। वही राज्य चाहे तो बसें चला सकती है। शादी समारोह में केवल 50 लोग ही भाग ले सकते हैं। वहीं रेस्टोरेंट होम डिलीवरी कर सकते हैं। दुकान पर पांच लोगों से ज्यादा भीड़ जमा नहीं हो सकती। मास्क लगाना अनिवार्य है। इससे पहले केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 4ण्0 को 31 मई तक बढ़ा दिया है।