करोना-दर्द के पीछे छिपा दर्द।
आज करोना वायरस अपनी भयंकर क्रूरता के कारण शिक्षित और अशिक्षित समाज के प्रत्येक स्तर में भली-भांति परिचित हो चुका है।पूरे विश्व को यह वायरस इस हद तक त्र स्त कर चुका है कि लोग अपनी पूर्व जीवन शैली एक सपने जैसा देखने लगे हैं।यहां तक कि तमाम अलग बीमारियों से मरने वालों के आंकड़ों की चर्चा ही नहीं हो रही।जबकि उन आंकड़ों के सामने कोरोना वायरस द्वारा मृतकों की संख्या नगण्य है।ऐसे कुछ आंकड़ों की चर्चा निम्नलिखित है।
हृदय रोग: अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन वर्ष 2019 में हृदय गति रुकने से मरने वालों की संख्या 3 लाख 56 हजार थी।जबकि सुप्रसिद्ध भारतीय हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ अजीत टैचिल के अनुसार भारतवर्ष में सभी बीमारियों से मरने वालों के 10 प्रतिशत लोग केवल हार्ड अटैक से मरते हैं।
क्षय रोग: अब से लगभग 11 महीने पहले भारतवर्ष में क्षय रोग से वार्षिक मरने वालों की संख्या 4 लाख21 हजार थी।
कैंसर: इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के" नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम"कि अनुसार भारतवर्ष में कैंसर से मरने वालों की प्रतिदिन संख्या 1 हजार 3 सौ से भी अधिक है।
उपरोक्त आंकड़े भी स्पष्ट रूप से बहुत भयावह हैं।अब सवाल यह है कि वर्तमान परिस्थिति में इन आंकड़ों के अनुसार अमल करना तो दूर, बल्कि चर्चा तक ना होना कहां तक उचित और हितकर है।
*ब्रह्मदेव मिश्र।